
Thursday, June 9, 2011
Monday, June 6, 2011
लालसिंह

दादा जी हे बहुत प्यार करते ही मेरे को में भी
दादा जी हे बहुत प्यार kआर्ट हु
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है,
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम,
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?
अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?
इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.
मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?
कब डूबते हुए सुरज को देखा , याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है..
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है,
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम,
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?
परम्परागत स्वरूप में काफी बदलाव आ गये हैं।सबसे बडा बदलाव पंचायतों के न्यायिक स्वरूप में आया है।खैर,इस बात से अलग इस समय पंचायत चुनाव की हकीकत खुली ऑखों से देखी जानी जरूरी है,ताकि हम जान सकें कि पंचायती राज कानून के रास्ते भारत के निचले पायदान पर लोकतंत्र स्थापित करने के कितने करीब हैं।सही नजरिया गॉव स्तर पर चुनाव की तैयारियों से प्राप्त करना ज्यादा कारगर होगा।
इस समय पूरे-पूरे गॉंव चुनाव के प्रति जागरूक हैं।शायद ही कोई गॉव का निवासी ऐसा होगा,जो चुनावी गणित में अपने को विशेषज्ञ न समझता हो।इसे देखकर तो ऐसा लगता है,जैसे,राग दरबारी उपन्यास का पात्र शनीचर हर जगह मौजूद है।अपनी जाति के वोट बढाने एवं लाठी की ताकत बढाने के लिये आम आदमी जनसंख्या बढाने में पूरी तरह से व्यस्त है।वह व्यस्त रहने के लिये और कोई काम नहीं करता।दबी-छुपी बेरोजगारी से पूरे गॉंव त्रस्त हैं।गॉव के कई स्थानों पर लोग गोल घेरे में बैठे हुये ताश या जुआ खेलते मिल जायेंगें।इस खेल में खिलाडियों की साख को ऐसे युवक प्रमाणित करते हैं,जो थानों में पुलिस से थोडी-बहुत जुगाड रखते हैं एवं वास्ता पडने पर किसी भी विवाद में दान-दक्षिणा देकर मामले को रफा-दफा कर सकतें हैं।सही मायने में यही लोग गॉव में नेता हैं।इस मामले में बाबा रामदेव का कथन सही दिखता है कि गॉव की राजनीति थानों व ब्लाकों से चलती है।पुलिस का एक सिपाही या दरोगा किसी की नेतागिरी हिट कर सकता है या उसे पलीता लगा सकता है।इसलिये आमतौर पर नेतागिरी की इच्छा रखने वाला कोई भी आदमी पुलिस के खिलाफ नहीं जाता।यहॉं पुलिस पंचायतों के अनुसार नहीं चलती बल्कि पंचायतें पुलिस के अनुकूल कार्य करती हैं।गॉंव के कुछ समझदार व पढे लिखे लोग बताते हैं कि पंचायती राज कानून के बनने से पहले,आजादी के बाद ग्राम स्वराज की संकल्पना में गॉंवों को विकास का केन्द्र बनाया जाना प्रस्तावित था लेकिन पता नहीं फिर कब व कैसे, गॉंव के स्थान पर ब्लाक व तहसील काबिज हो गये।अब केबल गॉव का सचिव व लेखपाल नियुक्त गॉंव के लिये होता है लेकिन उसका कार्यालय ब्लाक व तहसील में होता है और उनकी असली ताकत जिला मुख्यालय पर होती है।अब प्रधान उनकी बाट जोहते हैं,यदा-कदा इनके दर्शन गॉव में होते हैं।
गॉव में एक कहावत बहुत प्रचलन में है कि ‘‘प्रधानी का चुनाव,प्रधानमंत्री के चुनाव से ज्यादा कठिन है।‘’वास्तव में ऐसा है भी क्योंकि पूरे पॉच साल तक के सम्बध अब वोट निधार्रित करता है न कि गॉंव समाज का आपसी सम्बध।चुनाव में यह स्पष्ट रहता है कि किसने किसको वोट दिया है।अब गॉव के प्रधान की हैसियत पहले के विधायक की बराबर है। यह भी बिल्कुल सच है क्योंकि अब गॉव के विकास कार्यो के लिये इतना ज्यादा पैसा आता है कि उसमें हिस्सेदारी की कीमत किसी भी रंजिश को बरदाश्त कर सकती है। इस कारण से गॉव में झगडे व रजिंशे भी बढी हैं।अबेंडकर गॉंव घोषित होने पर सरकार गॉंव में पैसे की पोटली खोल देती है।और गाँव वाले अंबेडकर गॉंव में बनने बाली सीमेंटिड सडक पर भैंस व बैल बांधकर उपयोग में ला रहें हैं।इसे रोकना झगडे को आमंत्रण देना है। नरेगा का पैसा गाँव का कायाकल्प करे या न करे लेकिन प्रधान का कायाकल्प कर दे रहा है।फर्जी मजदूरी का भुगतान मस्टर रोल पर दिखाया जा रहा है। शासन का जोर अभी पूरी तरह से नरेगा के पैसे को खर्च करने पर है।गॉवों में इस धन से कितनी परिसम्पत्तियों का निर्माण हुआ,इसका आकलन व प्रमाणन बाद में किया जायेगा। इसी प्रकार लगभग दर्जनों लाभकारी योजनाओं ने पंचायत चुनावों को मंहगा कर दिया है। गॉंव में शाम होने का इतंजार भी नहीं किया जा रहा है,मांस-मदिरा का सेवन का बडी बेतक्कुलफी से किया जा रहा है। अब स्वाभाविक है कि जब ज्यादा पैसा खर्च होगा तो कमाई भी उसी अनुपात में की जायेगी।इसलिये एम,एल,सी, जैसे चुनाव में प्रत्येक प्रधान व बी,डी,सी, मेम्बर को मोटी रकम मिल जाती है।अप्रत्यक्ष चुनावों में खुलकर वोंटों की खरीद-फरोख्त होती है।हम इन चुनावों के समय आचार संहिता के अनुपालन पर ध्यान नहीं दे पायेंगें तो इसका असर देश में सांसदों के चुनाव तक पर पडेगा ही।महिलाओं के आरक्षण का सवाल हो या एस,सी,एस,टी आरक्षण का मसला चुनाव की असली डोर पुरूषों व प्रभु जातियों के हाथ में है।महिला प्रधान चयनित गॉव में कभी किसी बैठक में आप उस महिला को नहीं देखेंगें जो वास्तव में प्रधान है। हॉं पंचायती राज का एक प्रभाव बडा स्पष्ट दिखायी देने लगा है कि अब गॉव का कोई आदमी अब सरकारी दौरे को कोई तबज्जो नहीं देता,वो केवल फायदे के सरकारी कारकून को पहचानता है। कुछ भी हो इतना सच है कि पंचायती राज ने लोकतंत्र के निचले पायदान पर खुशहाली को चाहे चंद आदमी तक ही पहुंचाया हो लेकिन आम आदमी को राजनैतिक रूप से जागरूक अवश्य किया है।अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?
इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.
मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?
कब डूबते हुए सुरज को देखा , याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है..
Sunday, June 5, 2011
Saturday, June 4, 2011
Friday, June 3, 2011
lalsingh: lalsinghबाबा रामदेव
lalsinghबाबा रामदेव


नई दिल्ली। आज दोपहर वित मंत्री प्रणब मुखर्जी के घर पर एक बैठक होगी। इस बैठक में आज बाबा रामदेव को देने वाले नए ड्रॉफ्ट पर चर्चा की जाएगी। बाबा के आंदोलन को लेकर सरकार चिंतित हैं। इस बीच मानव संसाधन मंत्री ने कपिल सिब्बल ने थोड़ी देर पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत की है। कहा जा रहा है कि दोनों की बैठक पहले से फिक्स थी।
बाबा ने कहा कि देशभर में कालेधन और भ्रष्टाचार की उनकी मुहिम में लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। दिल्ली में उसकी झलक दिखनी भी शुरू हो गई है। वहीं कांग्रेस आलाकमान ने अपनी पार्टी के लोगों को बाबा रामदेव के खिलाफ कुछ भी बोलने से रोक दिया है। दूसरी तरफ आज रामलीला मैदान में लोग पहुंचने लगे हैं। महिलाएं भी भारी तादाद में पहुंच रही हैं।




बाबा रामदेव |
वहीं जानकारों का कहना है कि बाबा का अनशन शुरू होता है तो दिल्ली में भीड़ को संभालने में मुश्किल होगी। वहीं, लोकपाल विधेयक पर सरकार के रुख से चोट खाई टीम अन्ना भी अब बाबा के साथ खुलकर खड़ी हो गई है।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए सरकार रामदेव को मनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है। उसे डर है कि इस आंदोलन ने तेजी पकड़ी तो मुश्किल खड़ी हो जाएगी। पहले से ही परेशानियों से घिरी सरकार फिलहाल कोई और परेशानी मोल नहीं लेना चाहती है।
जहां सरकार बाबा रामदेव को मनाने की कोशिश में जुटी है। वहीं, कांग्रेस पार्टी को सरकार की ये कमजोरी रास नहीं आ रही है। कांग्रेस के नेता राशिद अलवी ने कहा कि बाबा को चाहिए कि सबसे पहले वो जो 11 हजार करोड़ उनके पास हैं उसका हिसाब देश के लोगों को दें।
सूत्रों की माने तो सरकार बाबा रामदेव से आमने सामने दो दो हाथ नहीं करना चाहती। इसीलिए दिग्गजों के बयान पर लगाम लगाया गया। अब सबकी नजर आज बाबा से होने वाली मंत्रियों की बैठक पर है, क्या इस बैठक में सरकार की परेशानी का हल निकलेगा।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कालेधन के खिलाफ बाबा रामदेव के अनशन को कामयाब बनाने के लिए देश भर के अपने स्वयंसेवकों से बाबा के समर्थन में जुट जाने का फरमान जारी किया है। इस अंदेशे से कि कालेधन के विरोध में बाबा को अनशन पर बैठने से रोकने के लिये सरकार सभी हथकंडे अपना सकती है, आरएसएस योग गुरु के पीछे खड़ा हो गया है।संघ की कार्यकारी समिति के सदस्य राम माधव ने अमर उजाला से खास बातचीत में कहा कि देश भर के स्वयंसेवकों को बाबा के आंदोलन का समर्थन करने के लिए कहा गया है। संघ कार्यकर्ता इस आंदोलन में हर स्तर पर इसमें अपनी भूमिका भी निभा रहे हैं। संघ की ओर से बाबा को परोक्ष रुप से ही सही मगर अन्ना हजारे के आंदोलन के सबक का ख्याल रखने की भी सलाह दी गई है।
संघ का मानना है कि सरकार ने अन्ना से लोकपाल विधेयक का वादा कर आंदोलन तो खत्म करवा लिया लेकिन जब काम करने का वक्त आया तो टाल मटोल कर रही है। राम माधव ने कहा कि बाबा रामदेव समझदार हैं और वह बात समझेंगे। सिर्फ चार नेता या मंत्री हवाई अड्डे पर जा कर मिल लें इससे काम नहीं चलेगा। सरकार को ठोस उपाय करने होंगे।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए को घेरने में भाजपा की विफलता के सवाल पर राम माधव ने कहा कि भाजपा संसद के भीतर और बाहर अपना काम कर रही है। लेकिन इसमें समाजसेवी संगठनों और जनता का भी रोल है। राम माधव ने कहा कि सरकार का बाबा के आंदोलन को रोकना जनता की आवाज को रोकना होगा। राम माधव ने संघ की ओर से यह एलान किया कि बाबा के आंदोलन को तब तक समर्थन दिया जाता रहेगा जबतक सरकार भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करती।नई दिल्ली। राजधानी के रामलीला मैदान पर शनिवार सुबह से शुरू होने वाले योग गुरु बाबा रामदेव के अनशन को लेकर केंद्र सरकार का तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार ने बाबा को मनाने के लिए एक एग्रीमेंट तैयार किया है, जिसे बाबा के सामने शुक्रवार दोपहर को रखा जायेगा। शुक्रवार की सुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने मुलाकात की। इस मुलाकात में तय किया गया कि सिब्बल अन्य दो नेताओं के साथ दोपहर एक बजे बाबा.....
lalsingh


तब्बू 1-बी/301, ग्रीन एकड्स, लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स, अंधेरी (पश्चिम), मुंबई-53 तनिशा उषा किरण एम.एल.धानुकर मार्ग मुंबई-26 तनूजा उषा किरण एम.एल.धानुकर मार्ग मुंबई-26 |
सलमान खान 3, गैलेक्सी अपार्टमेंट, बी.जे.रोड, बंद स्टैंड, बांद्रा (पश्चिम), मुंबई-50 समीरा रेड्डी 9/बी, चाँद टेरेस, सेंट एंड्रयूज रोड, होली फैमिली हॉस्पिटल के सामने, बांद्रा (पश्चिम), मुंबई-50 संजय दत्त 58, नरगिस दत्त रोड, पाली हिल, बांद्रा (पश्चिम), मुंबई-50 |
माधुरी दीक्षित विजयदीप, तीसरी मंजिल, आयरिस पार्क, जुहू, पोस्ट ऑफिस, एबी नायर रोड, मुंबई-49 मनीषा कोईराला 302, बीचवुड टावर्स, यारी रोड, वरसोवा अंधेरी (पश्चिम) मुंबई-61 मनोज कुमार 45, लक्ष्मी विला, ग्राउंड फ्लोर, टैगोर रोड, सांताक्रुज (पश्चिम), मुंबई-54 |
जयाप्रदा 202, जुहू प्रिंसेस जुहू बीच, मुंबई-49 जया बच्चन 20, श्री कृष्णा अपार्टमेंट्स, तरुण प्रभात सोसायटक्ष, चकला, अंधेरी (ईस्ट), मुंबई-99 |
डेज़ी ईरानी, दलिप ताहिल डैनी डेनजोंग्पा |



आमिर खान
धारिया हाउस, फर्स्ट फ्लोर
7 वाँ रास्ता, खार (वेस्ट) मुंबई - 52
आसिफ शेख
304/ए-1, मंगल नगर
बैंक ऑफ इण्डिया के सामने
यारी रोड, वर्सोवा, अंधेरी (वेस्ट) मुंबई - 61
अभिषेक बच्चन
प्रतीक्षा, 10 वाँ रास्ता जेवीपीडी स्कीम
जुहू, मुंबई - 49
एडम बेदी
बी/4, बीच हाउस पार्क
गाँधीग्राम रोड जुहू, मुंबई - 49
अदिति गोवात्रिकर
502, मेरीवेल, सेंट एंड्रयू रोड,
बांद्रा (वेस्ट), मुंबई - 50
आदित्य पंचोली
हेट बंगला, गाँधीग्राम रोड
जुहू, मुंबई - 49
आफताब शिवदासानी
22, मिस्त्री कोर्ट, सीसीआई क्लब के सामने
चर्चगेट, मुंबई - 20
ऐश्वर्या राय
12, लामेर, कांदेश्वरी रोड माउंट मेरी,
बांद्रा (वेस्ट) मुंबई - 50
अजय देवगन
ए/61, वर्षा, चौथा गुलमोहर एक्सटेंशन रोड
जेवीपीडी स्कीम जुहू, मुंबई - 49
आजिंक्य देव
ए-4, रितुराज अपार्टमेंट
एसएनडीटी कॉलेज के सामने,

नयी दिल्ली |


सलमान के किरदार का कई फिल्मों में प्रेम नाम रहा है। ‘रेडी’ में वे फिर एक बार प्रेम नामक चरित्र निभाकर दर्शकों का दिल जीतने का प्रयास करेंगे। ये प्रेम अपने पिता और चाचाओं की विशाल संपत्ति का एकमात्र वारिस है। दूसरे पिताओं की तरह प्रेम के पिता भी चाहते हैं कि उनका बेटा शादी कर सेटल हो जाए। उन्हें पोते-पोतियों के साथ समय बिताने का अवसर दे, लेकिन प्रेम को अपना सिंगल स्टेटस बहुत पसंद है। सिंगल रहने का वह भरपूर मजा लुटता है
Thursday, June 2, 2011
मनरेगा नहीं, धनरेगा कहिए जनाबमनरेगा नहीं, धनरेगा कहिए जनाब




मनरेगा नहीं, धनरेगा केन्द्र सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना जो कि गाँवों के उन गरीबों व असहायों के लिए चलायी जा रही है जिन्हें घर व गाँव छोड़कर रोजी-रोटी के लिए सुदूर किसी शहर में जाना पड़ता है । गाँव के इन जरूरतमन्दों को शहर न जाना पड़े और गाँव में ही काम मिल जाये, यही सोचकर यह योजना नरेगा जिसे अब मनरेगा के नाम से जाना जाता है, केन्द्र सरकार ने महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार को बड़े ही कुशलता के साथ चलाने का संकल्प लिया, लेकिन मनरेगा राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर जनपद में धनरेगा बन गयी है । बात अगर सिर्फ जमओं ब्लाक की करें तो कोई ऐसा आदर्श तालाब किसी भी ग्राम सभा में नहीं बना जिसे हम आदर्श कह सकें, आदर्श की मिसाल कायम करने के लिए जो भी मानक दिये गये हैं, उनकी परवाह न करते हुए पहले से ही बड़े गड्ढे का रूप पाये उन जगहों को आदर्श तालाब बनाने का प्रयास किया गया है, जो कि पचास प्रतिशत पहले ही तालाब को कुछ परिश्रम करवाकर मनरेगा का धनरेगा करके कागजों पर पूरे मानक के साथ आदर्श तालाब बनवाये जा रहे हैं या बन गये हैं । जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ चन्द लोग जिसे प्रदेश व गाँवों के विकास का जिम्मा दिया गया । जिन्हें हम विकास की रीढ़ भी कह सकते हैं ये चन्द लोग अपने-अपने कमीशन के चक्कर में मनरेगा का धनरेगा करवाने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं । प्रधानों का कार्यकाल कहिए जनाब